शुक्रवार, 22 अगस्त 2008

हिंदू उतराधिकार (संशोधन) अधिनियम २००५ की वस्तुस्थिति

वर्ष २००५ में भारत की संसद ने हिन्दू उत्तराधिकार ( संशोधन ) अधिनियम , 2005 ( 39 के 2005 ) को संशोधित किया जिसे सरकार ने 9 सितम्बर , 2005 से लागू किया। यह मूल रूप में १९५६ के इसी संशोधित कानून का अन्तिम संशोधन है। इस संशोधन के मुताबिक लागू होने की तिथि से बेटे और बेटियों का पिता / माता कि पूरी चल अचल सम्पति में बराबर का अधिकार होगा लेकिन आश्चर्य की बात यह है की बिहार या झारखण्ड या किसी भी प्रदेश की सरकारों ने इसे लागू करने का कोई फरमान जारी नहीं किया है। इस सम्बन्ध में भारत सरकार की प्रेस विज्ञप्ति http://sashaktanari.blogspot.com/ में दी गई है जो अंग्रेजी में है। यह मूल रूप से हिन्दू उत्तराधिकार ( संशोधन ) अधिनियम के प्रावधानों का लघु प्रस्तुतीकरण है। हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम , 1956 में जो लिंग आधारित भेदभाव थे उन्हें इस संशोधन ने समाप्त करते हुए धारा 6 के अधीन बेटी को एक समान उत्तराधिकारी बनने का अधिकार उसी तरह दिया है जैसा पुत्र को प्राप्त है। यह अधिकार बेटी के बेटे बेटियों को भी वैसे ही प्राप्त है जैसे बेटे के बच्चे बचियों को। इसी तरह उनके बेटे बेटियों को भी।
यह अनूठी व्यवस्था इस देश के इतिहास में पहली बार हुई जिससे बेटियों को उनके उस घर में एक सम्मानजनक स्तिथि प्राप्त हुई जहाँ वे पैदा हुईं जहाँ पली बढीं और जिन्हें यह कहकर निकाल दिया जाता रहा है कि "किसी और की अमानत है"। इस तरह वह अपने ही घोंसले से निष्काषित हो जाती है। अपने घर में उसे परायी बनकर आना जाना पड़ता है और बराबरी का पुरा माहौल ही समाप्त हो जाता है। इस तरह के निष्काशन और अपमान का दंश हर बेटी हजारो साल से झेल रहीं हैं। यह संशोधन इसलिए भी अच्छा है क्योंकि यह हर किसी को अपनों से जन्म जन्मातर का साथ निभाने में मदद अवश्य करेगा क्योंकि हर भाभी की ननद होगी तो हर ननद की भाभी। हर साले का जीजा होगा तो हर जीजा का साला। और इसी तरह सम्पति का बटवारा होगा जिससे किसी बहन को षडयंत्र के तहत आग के हवाले नहीं होना पड़ेगा।

लेकिन इसे लागू करने में बहुत आनाकानी हो रही है। जहाँ तक मुझे पत्ता है इस देश के किसी प्रदेश के भूमि रजिस्ट्रेशन विभाग या सम्पति से सम्बंधित विभागों को ऐसी कोई हिदायत नहीं दी गई है कि अब किसी माता पिता की हर चल अचल सम्पति की बिक्री, बँटवारे या हस्तानान्तरण में बेटियों के स्पष्ट हस्ताक्षर की आवश्यकता होगी। इसका मतलब है कि इस देश के प्रबुद्ध नागरिक तथा न्याय प्रशासन उस दिन का इंतज़ार कर रहे हैं जब इस तरह के मामले क्रिमिनल मुक़दमे का रूप ले लेंगे और खचाखच भरे न्यायालयों में एक बार फिर लम्बी कतारें लगेंगी।। और बेटियाँ जो किसी तरह जी पाती है मजबूर होकर मजबूत भाइयों के आगे घुटने टेक देंगी। दूरदर्शन या अन्य टीवी चैनल्स में आपने इस सम्बन्ध में कोई कार्यक्रम नहीं देखा होगा जिसमे इस कानून से सम्बंधित कोई प्रचार या सूचना देने की कोशिश होती है जैसा 'स्कूल चले हम' या 'बिटिया ने जनम लिया' या नरेगा कार्यक्रमों के बारे में होता है।

इसे ध्यान में रखते हुए मैंने भारत सरकार की महिला कल्याण विभाग की मंत्री मिस रेणुका चौधरी, बिहार और झारखण्ड के मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय महिला आयोग के चेयरपर्सन के अलावा बिहार और झारखण्ड के महिला आयोग के चेयरपर्सन को पत्र लिखकर इसकी सूचना दी तथा आवश्यक कारर्वाई करने का अनुरोध किया। पुनः विचार करने के बाद मैंने एक पत्र भारत के माननीय चीफ जस्टिस को भी लिखा ताकि वे आवश्यक पूछताछ के बाद उचित आदेश करें जो सिर्फ़ बिहार या झारखण्ड में ही नहीं पुरे देश में समरूप तरीके से लागू हो सके। ये सभी पत्र वेबसाइट http://sashaktanari.blogspot.com/ में हैं. मुझे अबतक मिस रेणुका चौधरी के प्राप्ति पत्र के अलावा कहीं से भी कोई ठोस उत्तर नहीं मिला है। मेरी और मेरे साथियों की ओर से अथक प्रयास जारी है ओर हमें पुरी उमीद है की देर भले ही हो इस बराबरी के अधिकार को हमें लेना ही होगा।

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Ha Ladka ladki saman aacha hai...but..Ladki ke sasural me bhi hissa hota hai aur maike me bhi...
lekin Ladke ko pure pariwar ka kharcha uthana padta hai..Agr uski jamin mese 1/2% behan ko diya to wo waha jakr kheti nahi karti balki use becha jata hai...usse ladki ko paise milte hai aur ladka bikhari ho sakata hai agr jamin bechega to khayega kya??? jamin ke tukde honese fasal kam ho jati hai!!yha aadha waha aadha kam karna mushkil ho jata hai!!
esse hindu bhikari hone ki sambhavana hai...need to change this rule....

Unknown ने कहा…

Jaise Hindu sanskruti me purush ko bada darja diya. wo apne priwar ki jimmedari uspr hoti hai.Behan ki shadi me kharcha bhi karna padta hai.to karja me doob jata hai.bad me kheti ka aadha hissa behan ko dena hota hai.to uske baccho ke liye kya bachta hai??kuch case me ladki ko hissa milana jaruri hai.magar hr bar kare to ladka kya krega??uske liye kya koi kanun hai??socho to dono aur se socho...ye one side kanun lag raha hai!! kya mai sahi hu ya galat??