शनिवार, 8 मार्च 2014

भाजपा एवं नरेंद्र मोदी से महिला सशक्तिकरण पर कुछ सवाल

प्रभात खबर रांची संस्करण 8 मार्च 2014 
http://epaper.prabhatkhabar.com/c/2521602

समाचार पत्रों से ऐसा ज्ञात हुआ कि आप ८ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिला सशक्तिकरण पर महिलाओं से उनके अधिकारों की बात करेंगे। यह जानकार खुशी हुई कि चुनाव के कारण ही सही महिलाओं की  चिंता तो हमारे माननीयों को हो रही है. परन्तु क्या यह भी जानना  मुनासिब नहीं होगा कि आप के शासन काल में पिछले एक दशक से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी गुजरात की महिलाओं को कौन कौन से अधिकार मिले हैं? वहाँ की महिलाओं को अपने मायके जहां उसकी अपनी 'जननी एवं जन्मभूमि ' है पर कितना हक़ प्राप्त हुआ? क्या गुजरात कि महिलाओं को अपने माता-पिता (पैतृक) की सम्पति पर वही अधिकार प्राप्त है जो एक बेटे या भाई को प्राप्त है ? क्या गुजरात के रजिस्ट्री ऑफिस या  अंचल कार्यालयों में पिता माता की मृत्यु के पश्चात बिना बहन, फुआ या बेटी के हस्ताक्षर के चल-अचल सम्पति की खरीद बिक्री पर रोक लगी? क्या  वहाँ की महिलाओं को भाई के समान सभी अधिकारों से लैस होकर अपने मायके में रहने का अधिकार मिला जब की हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम २००५ के लागू हुए भी आठ वर्षों से अधिक बीत गए है? याकि उन्हें कुछ लेन देन करके विस्थापन का दंश झेलने के लिए मज़बूर होना पड़ता है? जी हाँ, मायके से ससुराल भेजकर बेटियों की सम्पति पर बेटों का अधिकार सुरक्षित करना विस्थापन से भी ज्यादा कष्टदायी है क्यूंकि महिलाओं को तो विस्थापन की क्षतिपूर्ति का अधिकार भी  नहीं होता है. क्या इसके लिए आज भी महिलाओं को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना नहीं पड़ रहा है? यदि गुजरात के सन्दर्भ में इन प्रश्नो  का उत्तर हाँ में हो तो आप हम महिलाओं का अधिकार सचमुच में सुरक्षित करेंगे इसका विश्वास करना होगा। लेकिन खबरों के अनुसार आप के शासन काल में गुजरात में ऐसा कुछ हुआ नहीं। इसलिए लगता तो ऐसा ही है कि आप भी चुनाव में वोट प्राप्त करने के लिए बहलाने फुसलाने की कोशिश कर रहे है. फिर भी भविष्य का ख़याल करते हुए अगर आप महिलाओं को उपरोक्त अधिकार दिलवाना आप की प्राथमिकता में  प्रथम स्थान पर हो जिससे महिलायें सशक्त हो सकें तो यह उनपर बड़ी कृपा होगी और आप हमारे मत के एक विकल्प हो सकेंगे वर्ना जब हम अपने घर में ही मूल अधिकारों से वंचित हैं तो बाकी जगहों की तस्वीर महिलाओं की गुलामी की ही बनती है.